Diya Jethwani

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लेखनी प्रतियोगिता -15-Sep-2022.....सबसे ज्यादा प्यार इनसे..

सबसे ज्यादा प्यार इनसे... 

अगर ये सवाल मुझसे किया जाए तो मेरा जवाब होगा... मेरी मम्मी...। 
मैं खुद भी दो बच्चों की माँ हूँ... लेकिन फिर भी मुझे मेरी मम्मी से मुझे सबसे ज्यादा प्यार हैं... था.. और रहेगा...। 

आज सवेरे से ही मम्मी को बहुत याद कर रहीं हूँ... क्योंकि आज मेरी मम्मी का श्राद्ध हैं...। 

अगर मैं अपने बचपन की बात करूँ तो मुझे कभी मेरी मम्मी का प्यार नहीं मिला था... हाँ हम सभी भाई बहनों में सबसे ज्यादा मार मैने ही खाई थीं... ऐसा खुद मेरी मम्मी कहतीं थीं...। लेकिन फिर भी मेरे दिल में उनके लिए सिर्फ इज्जत और प्यार था..। मैने मेरी मम्मी को जिंदगी में बहुत ज्यादा संघर्ष करते हुवे देखा था....। एक वक्त ऐसा भी आया था जब हम सात लोगों के बीच में खाने के लिए सिर्फ पांच रोटी होतीं थीं... तब जैसा की हर माँ करतीं हैं... खुद कभी नहीं खाती थीं... भूख ही नहीं हैं का सबसे जबरदस्त झूठ बोलकर...। उस वक्त मैं भी मम्मी के साथ झूठ बोल देतीं थीं.. की मुझे भी भूख नही हैं... जिससे बाकी पांच को तो ठीक से खाना मिल सकें.. सच कहूं तो मैने जिंदगी का हर तजुर्बा अपनी मम्मी से सीखा हैं.. हां उन्होंने कभी प्यार से बैठकर मुझे कभी कुछ सिखाया या समझाया नही... शायद इसलिए की वो मुझसे बेहतर मुझे जान चुकी थीं..। लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब जिंदगी में पहली बार मैं मेरी मम्मी के सबसे करीब थीं... वो एक ऐसा वक्त था जो मैं चाहूंगी की किसी भी परिवार के साथ ना आए...। वो समय था जब मम्मी को कैंसर हुआ था... पापा का शहर से बाहर होना... बड़ी बहन की शादी.. और भाइयों की छोटी उम्र....ऐसे में घर की और मम्मी की सारी जिम्मेदारी मुझपर आ गई.... वो डेढ़ साल का समय ऐसा था जब मैंने मेरी मम्मी को दर्द से तड़पते और मौत की भीख मांगते देखा था...। असहनीय पीड़ा से पहली बार  मम्मी हिम्मत हार गई थीं... उस वक्त मैं सिर्फ पन्द्रह वर्ष की थीं... लेकिन उस वक्त मेरे भीतर ना जाने कैसी एनर्जी आई... मैं हमेशा मम्मी को हिम्मत देतीं रहीं... उनके साथ भरपूर वक्त बिताया... उनका सहारा बनी और कैंसर जैसी बिमारी पर भी जीत हासिल की...। 
लेकिन इस दौरान हमारे घर की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो चुकी थीं...। पर मम्मी के ठीक होने के बाद हम दोनों ने दिन रात मेहनत कर करके.. पाई पाई जमा की ओर हालातों का सामना किया...। मैं और मम्मी... सिलाई का काम करने लगे... मैं खुद की पढ़ाई के साथ साथ बच्चों के ट्युशन क्लास लेने लगी...। दिन को ट्यूशन रात को सिलाई... धीरे धीरे ही सही वक़्त बदला...। मैंने अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा मेरी मम्मी से सीखा हैं... आज भी हर परेशानी का मैं डटकर सामना करतीं हूँ... सिर्फ उनकी वजह से...। उनसे ज्यादा प्यार मैं कभी किसी से कर ही नहीं सकतीं...। आज उनको गए हुवे चार वर्ष हो चुके हैं लेकिन मुझे आज भी ऐसा लगता हैं जैसे वो मेरे आसपास ही मौजूद हैं...। 

आइ लव यू मम्मी.... । 

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9 Comments

Chetna swrnkar

18-Sep-2022 08:13 AM

बहुत सुंदर रचना 👌👌

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Supriya Pathak

18-Sep-2022 12:03 AM

Bahut khoob 💐👍

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Achha likha hai 💐

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